Monday, July 14, 2025
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अनिल अंबानी को मिली बड़ी राहत: केनरा बैंक ने ‘धोखाधड़ी’ वाले खाते का आदेश लिया वापस

मुंबई। उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications – RCom) से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में उन्हें बड़ी राहत मिली है। केनरा बैंक ने मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) को बताया है कि उसने अनिल अंबानी से संबंधित एक कंपनी के ऋण खाते (loan account) को ‘धोखाधड़ी’ (fraud) वाला खाता घोषित करने का अपना पुराना आदेश वापस ले लिया है। इस जानकारी के बाद, न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने अनिल अंबानी की याचिका का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब बैंक ने ही अपना आदेश वापस ले लिया है, तो अब याचिका में “कुछ भी गौर करने के लिए नहीं बचा है।”

क्या था पूरा मामला?
यह मामला अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) से जुड़ा है, जो इस समय दिवाला कार्यवाही (insolvency proceedings) से गुजर रही है। केनरा बैंक ने 8 नवंबर, 2024 को इस ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ वाला खाता वर्गीकृत (classified) किया था। बैंक ने अपने आदेश में कई कारण बताए थे, जिनमें से एक मुख्य कारण यह था कि 2017 में दिया गया 1,050 करोड़ रुपये का ऋण समूह की किसी अन्य कंपनी को ‘स्थानांतरित’ (transferred) किया गया था, ताकि उससे जुड़े या संबंधित पक्षों की अन्य देनदारियों (liabilities) का भुगतान किया जा सके।

केनरा बैंक का यह आदेश भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक परिपत्र (circular) पर आधारित था, जिसमें ‘धोखाधड़ी’ वाले खातों की घोषणा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश (guidelines) दिए गए थे। आरबीआई का यह परिपत्र बैंकों को ऐसे खातों को तुरंत वर्गीकृत करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सशक्त बनाता है।

कोर्ट का हस्तक्षेप और अंबानी का तर्क
अनिल अंबानी ने केनरा बैंक के इस आदेश को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उनका मुख्य तर्क यह था कि उनके ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ वाला खाता घोषित करने से पहले उन्हें सुनवाई का अवसर (opportunity of being heard) नहीं दिया गया था। भारतीय कानून में ‘प्राकृतिक न्याय’ (natural justice) के सिद्धांत के तहत, किसी भी व्यक्ति या इकाई के खिलाफ कोई भी प्रतिकूल कार्रवाई करने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए।

इस साल फरवरी में, उच्च न्यायालय ने अंबानी की याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक केनरा बैंक के आदेश पर रोक (stay) लगा दी थी। उस समय, उच्च न्यायालय ने आरबीआई पर भी सवाल उठाया था कि क्या वह उन बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जिन्होंने बार-बार उसके परिपत्र और उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवहेलना (disregarded) की है। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि उधारकर्ताओं को उनके खातों को ‘धोखाधड़ी’ वाला घोषित करने से पहले सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।

बैंक का यू-टर्न और आरबीआई को सूचना
उच्च न्यायालय के कड़े रुख और अनिल अंबानी के तर्कों के बाद, केनरा बैंक ने अपने कदम पीछे खींच लिए। बैंक ने अदालत को बताया कि उसने ‘धोखाधड़ी’ वाले खाते के वर्गीकरण का अपना आदेश वापस ले लिया है। बैंक के इस कदम से अंबानी को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि ‘धोखाधड़ी’ वाला खाता घोषित होने से किसी भी व्यक्ति या कंपनी की वित्तीय प्रतिष्ठा (financial reputation) और भविष्य की क्रेडिट रेटिंग (credit rating) पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

न्यायालय ने कहा कि आदेश वापस लेने की सूचना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी दी जाएगी। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि RBI ही बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए नियमों और दिशानिर्देशों का निर्धारण करता है, और उसे ऐसे मामलों की जानकारी होना आवश्यक है जहाँ उसके परिपत्रों के क्रियान्वयन में चुनौतियां सामने आती हैं।

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