नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश के ऊर्जा भंडारण उद्योग (Energy Storage Industry) को आत्म-निर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि इस उद्योग को कुछ विशिष्ट देशों से आयात पर अत्यधिक निर्भरता (over-reliance on imports) कम करनी चाहिए और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों (alternative supply sources) का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। गोयल ने उद्योग जगत को नवोन्मेषी उत्पादों (innovative products) के निर्माण के लिए अनुसंधान एवं विकास (Research & Development – R&D) पर अधिक जोर देने का भी सुझाव दिया। यह बयान भारत की आर्थिक संप्रभुता (economic sovereignty) और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (supply chain resilience) बढ़ाने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती और आत्मनिर्भरता का मंत्र
ऊर्जा भंडारण पर आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में मौजूद ‘कमजोरियों’ (vulnerabilities) को दूर करना होगा। उन्होंने कहा, “हमें विकृतियों को रोकने के लिए काम करना चाहिए। हमें विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों पर विचार करना चाहिए, जहां हम अपनी आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती ला सकें।” उनका इशारा उन देशों की ओर था जो कुछ महत्वपूर्ण खनिजों या घटकों (components) के वैश्विक आपूर्तिकर्ता (global suppliers) हैं और जिनके साथ भू-राजनीतिक तनाव (geopolitical tensions) या व्यापारिक प्रतिबंध (trade restrictions) आपूर्ति को बाधित कर सकते हैं।
गोयल ने आगे कहा कि उद्योग को आयात पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देना चाहिए और आत्मनिर्भरता (self-reliance) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन और नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है।
चीन पर निर्भरता और वैश्विक चुनौतियां
मंत्री की ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं (global supply chains) कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। उदाहरण के लिए, मोटर वाहन (automotive) जैसे क्षेत्र चीन द्वारा दुर्लभ खनिज (rare earth minerals) – विशेष रूप से चुंबक (magnets) पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह, चीन द्वारा उर्वरक (fertilizer) निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध भी भारतीय कंपनियों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं, क्योंकि भारत उर्वरक के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है।
ऐसी परिस्थितियां यह दिखाती हैं कि कैसे एक देश पर अत्यधिक निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है। गोयल का संदेश स्पष्ट है: भारत को अपने प्रमुख उद्योगों के लिए विविधीकृत (diversified) और सुरक्षित आपूर्ति स्रोत विकसित करने होंगे।
EVs और महत्वपूर्ण खनिजों पर जोर
पीयूष गोयल ने सभी उद्योग हितधारकों से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को तेजी से अपनाने के लिए चार्जिंग एवं बैटरी स्वैपिंग (battery swapping) के बुनियादी ढांचे (infrastructure) को विकसित करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। ईवी को बढ़ावा देना भारत के ऊर्जा संक्रमण (energy transition) और कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) को कम करने के लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
उनके अनुसार, उद्योगों को महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) और अर्धचालकों (semiconductors) जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण का विस्तार करने के नए अवसरों की भी तलाश करनी चाहिए। ये दोनों क्षेत्र आधुनिक अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सरकार इस क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण (domestic manufacturing) को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रही है, जिसमें उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive – PLI) योजनाएं और अन्य नीतियां शामिल हैं।