Monday, July 14, 2025
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सिंगापुर के Parkway Cancer Center ने मल्टी डिसिप्लीनरी कैंसर केयर एप्रोच पर दिया जोर

नई दिल्ली। Parkway Cancer Center भारत में हर साल कैंसर के 14 लाख से ज़्यादा नए मामले सामने आते हैं, जो एक गंभीर चुनौती है। चिंता की बात यह है कि इनमें से ज़्यादातर मरीज़ों का कैंसर का पता तब चलता है जब वह स्टेज तीन या चार में पहुंच चुका होता है, जिससे पूरा इलाज एक बेहद जटिल प्रक्रिया (complex process) बन जाता है।

ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में, ‘मल्टी-डिसिप्लिनरी एप्रोच’ (Multidisciplinary Approach) यानी विभिन्न विशेषज्ञताओं वाले डॉक्टरों की एक साथ मिलकर काम करने वाली टीम, न सिर्फ़ इलाज में तेज़ी लाती है, बल्कि मरीज़ों को बेहतर नतीजे भी देती है। यह दृष्टिकोण मृत्यु दर में कमी लाकर जीवित रहने की दर (survival rate) को बढ़ाता है, जैसा कि सिंगापुर के पार्कवे कैंसर सेंटर (Parkway Cancer Centre – PCC) ने दशकों के अनुभव से साबित किया है।

क्या है मल्टी-डिसिप्लिनरी एप्रोच और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

कैंसर केयर (cancer care) की प्रक्रिया लगातार तेज़ी से उन्नत हो रही है। मल्टी-डिसिप्लिनरी एप्रोच में विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम सिर्फ़ बीमारी के इलाज से कहीं आगे बढ़कर काम करती है। यह टीम सही मार्गदर्शन और भावनात्मक सपोर्ट (emotional support) देकर पूरे उपचार के दौरान रोगी की मदद करती है। इस दृष्टिकोण की सफलता के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के बीच बेहतर सहयोग (collaboration) और बातचीत (communication) की आवश्यकता होती है।

सिंगापुर स्थित पार्कवे कैंसर सेंटर ने दशकों पहले एक छोटी सी टीम के साथ इस एप्रोच की शुरुआत की थी, और आज यह इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. आंग पेंग तियाम (Dr. Ang Peng Tiam), जो पीसीसी में वरिष्ठ सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट (Medical Oncologist) और चिकित्सा निदेशक (Medical Director) हैं, ने इसके लाभ समझाते हुए बताया, “मल्टी-डिसिप्लिनरी एप्रोच, मरीज़ों की इलाज प्रक्रिया को सरल बना देता है क्योंकि इससे उन्हें अलग-अलग अपॉइंटमेंट्स (appointments) नहीं लेने पड़ते।”

उन्होंने एक उदाहरण दिया: “यदि किसी मरीज़ को एचईआर-2 पॉजिटिव स्तन कैंसर (HER-2 positive breast cancer) का पता चलता है, तो उसे निदान (diagnosis) के लिए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynecologist), ट्यूमर का ऑपरेशन करने वाले एक सर्जन (surgeon) और अंग के सर्जिकल रिक्रिएशन (surgical recreation) के लिए एक प्लास्टिक सर्जन (plastic surgeon) से मिलना होगा।

लेकिन एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम द्वारा यह प्रक्रिया एक ही प्लांड मॉड्यूल (planned module) में सरलता के साथ निपटाई जा सकती है। इससे न केवल मरीज़ों का समय बचता है, बल्कि उन्हें भावनात्मक कष्ट और ट्रॉमा (trauma) भी कम होता है।” यह दिखाता है कि कैसे एकीकृत (integrated) देखभाल से मरीज़ों पर बोझ कम होता है।

भारत में कैंसर की समस्या से निपटने में भूमिका

समन्वित (coordinated) टीमों के अलावा, यह एप्रोच वर्चुअल एक्सपर्ट टीमों (virtual expert teams) के माध्यम से भारत में कैंसर की बढ़ती समस्या से निपटने में भी मदद करती है। ये टीमें शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई को मिटाने में भी सहायता करती हैं, क्योंकि ये स्थानीय डॉक्टरों को बेहतर उपचार कार्यक्रम बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।

इसका मतलब है कि दूरदराज के इलाकों के मरीज़ों को भी विश्व-स्तरीय विशेषज्ञों की सलाह मिल सकती है, भले ही वे शारीरिक रूप से सिंगापुर में मौजूद न हों। यह ‘टेलीमेडिसिन’ (telemedicine) और ‘रिमोट कंसल्टेशन’ (remote consultation) का एक उन्नत रूप है।

पार्कवे कैंसर सेंटर (Parkway Cancer Center) के इस एप्रोच के लाभ

इस क्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में, डॉ. आंग ने आगे बताया कि कैसे पीसीसी सिंगापुर मरीजों को ये सेवाएं निर्बाध रूप से (seamlessly) प्रदान करने में अग्रणी स्थिति में है। इस एप्रोच के लाभों को हाईलाइट (highlight) करते हुए उन्होंने निम्न बिंदुओं के बारे में जानकारी दी:

  • व्यक्तिगत उपचार योजनाएं (Personalized Treatment Plans): यह एप्रोच आनुवंशिक प्रोफ़ाइल (genetic profile) और जीवनशैली (lifestyle) सहित व्यक्तिगत आवश्यकताओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने में मदद करती है। इससे प्रत्येक रोगी की प्रोफ़ाइल के अनुरूप एक अत्यंत विशिष्ट और रिस्पॉन्सिव ट्रीटमेंट प्लान बनाने में मदद मिलती है। यह ‘वन-साइज़-फिट्स-ऑल’ (one-size-fits-all) दृष्टिकोण के बजाय, रोगी-केंद्रित (patient-centric) देखभाल पर ज़ोर देता है।
  • एक्सपर्ट कंसेंसस (Expert Consensus): इस एप्रोच में मल्टी-डिसिप्लिनरी विशेषज्ञों की एक पूरी टीम मामले का विश्लेषण करती है। इससे रोगियों के लिए सुचारू देखभाल और सर्वोत्तम विकल्पों के साथ, अत्यंत सुविचारित, एविडेंस-बेस्ड ट्रीटमेंट प्लांस (evidence-based treatment plans) तैयार करना संभव हो पाता है। जब कई विशेषज्ञ मिलकर किसी केस पर चर्चा करते हैं, तो त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है और सबसे प्रभावी इलाज चुना जाता है।
  • सीमलेस कोआर्डिनेशन (Seamless Coordination): यह एप्रोच पूरी तरह से इंटीग्रेटेड देखभाल के साथ उपचार के प्रोसेस को आसान बनाने में मदद करता है। इसमें उपचार, परीक्षण (tests) और अपॉइंटमेंट का प्रबंधन शामिल है, जिससे प्रतीक्षा समय (waiting time) बहुत कम हो जाता है और कैंसर उपचार से जुड़ी सामान्य समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती हैं। यह मरीज़ों और उनके परिवारों के लिए ‘स्ट्रेस’ (stress) को कम करता है।
  • होलिस्टिक पेशंट सपोर्ट (Holistic Patient Support): यह उपचार विधि सिर्फ़ क्लिनिकल इंटरवेंशन्स (clinical interventions) तक ही सीमित नहीं है। यह एप्रोच उपचार और रिकवरी के दौरान दर्द प्रबंधन (pain management), मनोवैज्ञानिक परामर्श (psychological counseling), पोषण संबंधी मार्गदर्शन (nutritional guidance) और पैलिएटिव केयर (palliative care) सहित पूर्ण सहायता प्रदान करती है। इसका उद्देश्य केवल बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि मरीज़ के संपूर्ण कल्याण (overall well-being) को सुनिश्चित करना है।

भारत में कैंसर केयर के मानकों को ऊंचा उठाने का लक्ष्य

पार्कवे कैंसर सेंटर भारत में कैंसर केयर के मानकों को ऊंचा उठाने के लिए तत्पर है। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि मल्टी-डिसिप्लिनरी एप्रोच के माध्यम से प्रत्येक रोगी को रिकवरी प्रोसेस के दौरान कॉम्प्रीहेंसिव (comprehensive), कोआर्डिनेटेड (coordinated), और कम्पेशनेट (compassionate) सपोर्ट मिले। यह दृष्टिकोण रोगी की स्थिति में सुधार करके कैंसर केयर क्षेत्र में एक सकारात्मक परिवर्तन (positive transformation) लाने की क्षमता रखता है।

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