नई दिल्ली। अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) द्वारा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को दिया गया चंदा वित्त वर्ष 2024-25 में चार गुना बढ़कर 97 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट (annual report) से यह जानकारी सामने आई है। यह आंकड़ा भारत में कॉर्पोरेट फंडिंग (corporate funding) और राजनीतिक दलों के बीच संबंधों को लेकर नई बहस छेड़ सकता है।
विविध मदों के तहत चंदे का खुलासा
वेदांता लिमिटेड ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ‘विविध मद’ (miscellaneous items) के अंतर्गत, राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे के साथ-साथ अपनी मूल कंपनी लंदन में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी (Vedanta Resources Plc) को किए गए प्रबंधन (management) और ब्रांड शुल्क व्यय (brand fee expenses) का विवरण दिया है। पारदर्शिता के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे कंपनी के वित्तीय लेनदेन का एक हिस्सा सार्वजनिक होता है।
कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में कुल 157 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा दिया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 97 करोड़ रुपये था। यह कुल राजनीतिक चंदे में लगभग 61.8 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
बीजेपी और कांग्रेस को मिले चंदे का ब्योरा
रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक ओर भाजपा को दिया गया चंदा चार गुना हो गया, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को दिया गया चंदा घटकर सिर्फ 10 करोड़ रुपये रह गया। यह राजनीतिक फंडिंग में एक स्पष्ट असंतुलन को दर्शाता है, खासकर सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में।
विस्तृत ब्योरा इस प्रकार है:
भारतीय जनता पार्टी (BJP): बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने भाजपा को 97 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यह राशि 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में सिर्फ 26 करोड़ रुपये थी।
बीजू जनता दल (BJD): बीते वित्त वर्ष में इस क्षेत्रीय दल को 25 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये था।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM): इस दल को 20 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह पांच करोड़ रुपये था।
कांग्रेस (Congress): बीते वित्त वर्ष में कांग्रेस को 10 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो पिछले वित्त वर्ष में 49 करोड़ रुपये था। इसमें भारी गिरावट देखी गई है।
वेदांता: राजनीतिक चंदा देने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक
वेदांता राजनीतिक दलों को चंदा देने के मामले में देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक रही है। कंपनी का राजनीतिक दलों को फंडिंग का एक लंबा इतिहास रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसने राजनीतिक दलों को कुल 155 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। वित्त वर्ष 2021-22 में यह राशि 123 करोड़ रुपये थी।
हालांकि, इन वित्त वर्षों के लिए चंदा पाने वाले विशिष्ट राजनीतिक दलों का ब्योरा वार्षिक रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। यह चुनावी फंडिंग के नियमों में पिछली अस्पष्टता को दर्शाता है, जिसे चुनावी बॉन्ड योजना के तहत भी जारी रखा गया था।
चुनावी बॉन्ड और सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कंपनी ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) (जो अब रद्द हो चुके हैं) के माध्यम से 2017 से राजनीतिक दलों को कुल 457 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। चुनावी बॉन्ड कंपनियों और व्यक्तियों को राजनीतिक दलों को अपनी पहचान बताए बिना चंदा देने की अनुमति देते थे, जिससे पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हुई थीं। पिछले साल, उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक (unconstitutional) बताते हुए इनपर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले ने राजनीतिक फंडिंग में अधिक पारदर्शिता लाने का मार्ग प्रशस्त किया है, हालांकि अभी भी पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने बाकी हैं।
वेदांता का जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट (Janhit Electoral Trust), राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए कंपनियों द्वारा स्थापित एक दर्जन से अधिक चुनावी न्यासों में से एक है। ये ट्रस्ट कंपनियों के लिए राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक अप्रत्यक्ष तरीका थे।