नई दिल्ली। लग्जरी कार निर्माता मर्सिडीज-बेंज इंडिया (Mercedes-Benz India) सितंबर से अपने वाहनों के दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही है। यह इस साल तीसरी बार होगा जब कंपनी अपनी कारों की कीमतें बढ़ाएगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) संतोष अय्यर ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि कीमतों में यह बढ़ोतरी एक से डेढ़ प्रतिशत तक होगी। इस मूल्य वृद्धि की मुख्य वजह यूरो (Euro) के मुकाबले रुपये (Rupee) का कमजोर होना बताया जा रहा है।
लगातार तीसरी बार कीमतों में बढ़ोतरी
यह खबर लग्जरी कार खरीदारों के लिए चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि मर्सिडीज-बेंज इस साल पहले ही दो बार, जनवरी और जुलाई में अपने वाहनों के दाम बढ़ा चुकी है। अब सितंबर में होने वाली यह बढ़ोतरी, कंपनी की इनपुट लागतों (input costs) पर विदेशी मुद्रा (forex) के दबाव को साफ दर्शाती है।
अय्यर का कहना है, “सितंबर में यूरो के कारण कीमतों में एक और बढ़ोतरी होने वाली है। अगर आप देखें, तो पिछले एक महीने में यूरो 100 रुपये के स्तर पर बना हुआ है, और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। इसलिए, हमें सितंबर में भी कीमतों में बढ़ोतरी करनी होगी।” उन्होंने पुष्टि की कि कंपनी वाहन कीमतों में एक से डेढ़ प्रतिशत तक बढ़ोतरी करेगी। यूरो का मजबूत होना और रुपये का कमजोर होना आयातित कंपोनेंट्स (imported components) और पूरी बनी हुई कारों (completely built units – CBUs) को मर्सिडीज-बेंज इंडिया के लिए महंगा बनाता है, जिससे कंपनी को लागत का कुछ हिस्सा ग्राहकों पर डालना पड़ता है।
क्या बिक्री पर पड़ेगा असर?
यह पूछे जाने पर कि क्या कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से बिक्री प्रभावित हो सकती है, अय्यर ने एक दिलचस्प विश्लेषण पेश किया। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों (interest rates) में कमी की वजह से खरीदारों के लिए ईएमआई (मासिक किस्त – Equated Monthly Instalment) भुगतान काफी हद तक संतुलित हो रहा है। उन्होंने बताया कि कंपनी की लगभग 80 प्रतिशत नई कारों की बिक्री ‘फाइनेंस’ (finance) के जरिये होती है, यानी ग्राहक लोन (loan) लेकर कार खरीदते हैं।
अय्यर ने कहा, “इसलिए, जब आप ईएमआई पर गौर करते हैं, तो हमने उसे वही रखने की कोशिश की है, हालांकि कार की कीमत बढ़ गई है। इससे हमें मूल्यवृद्धि के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिली है।” इसका मतलब है कि भले ही कार की एक्स-शोरूम कीमत बढ़ रही हो, लेकिन कम ब्याज दरें सुनिश्चित कर रही हैं कि ग्राहकों की मासिक ईएमआई पर बहुत अधिक बोझ न पड़े, जिससे खरीद की क्षमता (affordability) बनी रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में अब भी मजबूत मांग (strong demand) है, और अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ लोग लग्जरी कारें खरीदना पसंद करेंगे। यह लग्जरी सेगमेंट में उपभोक्ता विश्वास (consumer confidence) और बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम (disposable income) को दर्शाता है। अय्यर का मानना है कि खरीदार समझते हैं कि मुद्रा में उतार-चढ़ाव (currency fluctuations) को देखते हुए, कीमतें कंपनी के नियंत्रण से बाहर हैं और यह एक बाहरी कारक (external factor) है।
उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर कोई प्रभाव नहीं
लग्जरी कार उद्योग में हाल ही में महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) और सेमीकंडक्टर (semiconductor) की कमी जैसी आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) संबंधी चुनौतियां देखी गई हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या मर्सिडीज-बेंज इंडिया को महत्वपूर्ण खनिज चुंबक (critical mineral magnets) के कारण उत्पादन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, अय्यर ने आश्वस्त किया।
उन्होंने कहा, “अगर आप आपूर्ति श्रृंखला को देखें, तो जहां तक हमारा संबंध है, हम अभी तक इनमें से किसी भी चीज से प्रभावित नहीं हुए हैं, क्योंकि हम इसे अच्छी तरह से प्रबंधित कर रहे हैं। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक (sufficient stock) भी है, इसलिए हम इस स्थिति से निपटने में सक्षम हैं।” यह दर्शाता है कि मर्सिडीज-बेंज ने अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने और संभावित व्यवधानों (disruptions) से निपटने के लिए proactive कदम उठाए हैं। यह कंपनी की ऑपरेशनल रेजिलिएंस (operational resilience) को भी दिखाता है।