रायपुर, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। सरकार ने 10 साल से अधिक लंबित पुराने मामलों में 25 हजार रुपये तक की वैट (Value Added Tax) देनदारियों को खत्म करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी, जिससे राज्य के हजारों व्यापारियों के लिए नई उम्मीद जगी है। यह कदम राज्य में कारोबारी सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
व्यापारियों को प्रोत्साहन और पुराने मुकदमों का बोझ कम होगा
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार छोटे व्यापारियों को अपना व्यवसाय आसानी से करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में, राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि 10 साल से अधिक लंबित पुराने मामलों में जिन व्यापारियों पर 25 हजार रुपये तक की वैट देनदारियां बकाया हैं, उन्हें माफ कर दिया जाएगा। यह उन छोटे व्यापारियों के लिए वरदान साबित होगा जो सालों से इन छोटी देनदारियों और उनसे जुड़े कानूनी पचड़ों में फंसे हुए थे।
इस महत्वपूर्ण फैसले से राज्य के लगभग 40 हजार से अधिक व्यापारियों को सीधा फायदा मिलेगा। इसके साथ ही, सरकारी विभागों और व्यापारियों दोनों के लिए 62 हजार से अधिक मुकदमें भी कम हो जाएंगे, जिससे न्यायिक प्रणाली (judicial system) पर बोझ कम होगा और व्यापारिक समुदाय को अनावश्यक कानूनी कार्यवाही से मुक्ति मिलेगी। यह एक ‘गेम चेंजर’ (game changer) साबित हो सकता है, जिससे व्यापारिक माहौल में सकारात्मक बदलाव आएगा।
GST प्रावधानों में भी संशोधन का प्रस्ताव
वैट देनदारियों को माफ करने के साथ-साथ, छत्तीसगढ़ सरकार कारोबारी सुगमता के तहत जीएसटी (Goods and Services Tax) प्रावधानों में भी कई संशोधन करने जा रही है। यह दिखाता है कि सरकार केवल पुराने मामलों को निपटाने पर ही नहीं, बल्कि वर्तमान कर प्रणाली को भी व्यापारियों के लिए अधिक अनुकूल बनाने पर ध्यान दे रही है।
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक (Chhattisgarh Goods and Services Tax Amendment Bill) और छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति के निपटान संशोधन विधेयक 2025 (Chhattisgarh Arrears of Tax, Interest and Penalty Settlement Amendment Bill 2025)** के प्रारूप (draft) का अनुमोदन कर दिया गया है। इन दोनों विधेयकों को विधानसभा के मानसून सत्र में पटल पर रखा जाएगा, जिसके बाद इन्हें कानून का रूप दिया जाएगा।
GST परिषद के निर्णयों का प्रभाव और अपील प्रक्रिया में सुधार
मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक के प्रारूप का भी अनुमोदन किया गया। इस प्रारूप में जीएसटी परिषद (GST Council) की 55वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुरूप संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। जीएसटी परिषद भारत में जीएसटी से संबंधित निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है, और राज्य सरकारें अक्सर उसके निर्णयों को अपने कानूनों में शामिल करती हैं ताकि पूरे देश में कर प्रणाली में एकरूपता (uniformity) बनी रहे।
एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्ताव के अनुसार, ऐसे जुर्माने की राशि जिनमें कर मांग (tax demand) शामिल नहीं होती है, उन मामलों में अपीलीय प्राधिकारी (appellate authority) के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक पूर्व जमा राशि (pre-deposit amount) को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है। यह छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे उन्हें अपील दायर करने में आसानी होगी और उन पर वित्तीय बोझ कम होगा। यह न्याय तक पहुंच को भी सुगम बनाएगा।
‘टाइम ऑफ सप्लाई’ प्रावधान का विलोपन
जीएसटी प्रणाली में एक और महत्वपूर्ण बदलाव वाउचर (vouchers) पर करदेयता (taxability) के संबंध में किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए ‘टाइम ऑफ सप्लाई’ (Time of Supply) के प्रावधान को विलोपित (deleted) किया गया है। यह संशोधन विशेष रूप से उन व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है जो वाउचर जारी करते हैं, जैसे ई-कॉमर्स (e-commerce) प्लेटफॉर्म या खुदरा श्रृंखलाएं।
पहले, इस संबंध में विभिन्न अग्रिम आदेश प्राधिकरण (Advance Ruling Authorities) में मतभिन्नता (divergent opinions) थी, जिससे व्यापारियों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। अतः एकरूपता के प्रयोजन से यह संशोधन लाया गया है। यह जीएसटी प्रणाली को और अधिक स्पष्ट और अनुमानित (predictable) बनाएगा, जिससे व्यापारियों को अपने लेनदेन की योजना बनाने में आसानी होगी।