मुंबई। भारत की प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों में से एक, लोढ़ा डेवलपर्स (Lodha Developers), ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2030-31 तक किराये से अपनी सालाना आमदनी (annual rental income) को छह गुना बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये तक** पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के प्रबंध निदेशक (MD) अभिषेक लोढ़ा ने बताया कि इस लक्ष्य को हासिल करने से कंपनी का लगभग पूरा ब्याज (interest) और वेतन खर्च (salary expenses) निकल जाएगा, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिरता (financial stability) में और बढ़ोतरी होगी।
आवासीय से वाणिज्यिक रियल एस्टेट की ओर विस्तार
आवास खंड (housing segment) में पहले से ही एक अच्छी-खासी बाजार हिस्सेदारी (market share) हासिल करने के बाद, मुंबई स्थित लोढ़ा डेवलपर्स अब अपने वाणिज्यिक रियल एस्टेट कारोबार (commercial real estate business) का विस्तार करने की योजना बना रही है। यह रणनीति कंपनी के राजस्व स्रोतों (revenue streams) में विविधता लाने और भविष्य के विकास के लिए नए रास्ते खोलने पर केंद्रित है।
‘नियमित आय’ पोर्टफोलियो पर ज़ोर
शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में, लोढ़ा डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अभिषेक लोढ़ा ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य अब समय के साथ एक उचित नियमित आय (annuity) का पोर्टफोलियो बनाना है। ‘नियमित आय’ से तात्पर्य ऐसी आय से है जो निवेश या संपत्ति से नियमित रूप से (मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक) प्राप्त होती है, जैसे किराये से होने वाली आय।
अभिषेक लोढ़ा ने स्पष्ट रूप से कहा, “हमारा लक्ष्य 2030-31 तक 15 अरब रुपये (1,500 करोड़ रुपये) की नियमित आय प्राप्त करना है।” यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य है, जो कंपनी को बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करेगा और उसे एक अधिक मजबूत और टिकाऊ व्यवसाय मॉडल (sustainable business model) देगा। उन्होंने यह भी बताया कि 2030-31 के लिए लक्षित नियमित आय कंपनी के लगभग पूरे ब्याज और वेतन लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। यह दर्शाता है कि किराये से होने वाली आय कंपनी के परिचालन खर्चों (operational expenses) को कवर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे कंपनी की शुद्ध लाभप्रदता (net profitability) में सुधार होगा।
कंपनी अब विभिन्न वाणिज्यिक संपत्तियों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
कार्यालय परिसर (Office complexes): बढ़ते कॉर्पोरेट और आईटी सेक्टर की मांगों को पूरा करना।
खुदरा परियोजनाएं (Retail projects): शॉपिंग मॉल्स और वाणिज्यिक केंद्रों का विकास।
औद्योगिक एवं भंडारण पार्क (Industrial and warehousing parks): ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर की बढ़ती जरूरतों को पूरा करना।
इसके साथ ही, लोढ़ा डेवलपर्स सुविधा प्रबंधन (facility management)के क्षेत्र में भी प्रवेश कर रही है, जो उसके रियल एस्टेट पोर्टफोलियो को पूर्ण-सेवा प्रदान करने में मदद करेगा।
भौगोलिक विस्तार और मौजूदा प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, लोढ़ा डेवलपर्स ने अपने भंडारण पार्कों (warehousing parks) के लिए चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) में महत्वपूर्ण भूमि का अधिग्रहण (land acquisition) किया है। यह कदम लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग सेक्टर में बढ़ती मांग को दर्शाता है, जो ई-कॉमर्स बूम (e-commerce boom) और आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) के आधुनिकीकरण से प्रेरित है।
लोढ़ा ने कहा, “विभिन्न पार्कों में किराये पर जगह लेने की गतिविधियां अच्छी तरह से बढ़ रही हैं, और हम अपनी आवासीय परियोजनाओं के साथ-साथ अपने मुख्य बाजार में खुदरा खंड को लगातार बढ़ा रहे हैं। हम अगले कुछ वर्षों में अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद करते हैं।” यह टिप्पणी कंपनी के वर्तमान प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाओं दोनों पर आत्मविश्वास को दर्शाती है।
वाणिज्यिक पोर्टफोलियो का मौजूदा आकार
निवेशकों को भेजी गई प्रस्तुति (investor presentation) के अनुसार, वर्तमान में लोढ़ा डेवलपर्स के पास 84 लाख वर्ग फुट (square feet) का वाणिज्यिक पोर्टफोलियो है। इस पोर्टफोलियो का विवरण इस प्रकार है:
खुदरा (Retail):21 लाख वर्ग फुट
कार्यालय स्थल (Office space): 10 लाख वर्ग फुट
औद्योगिक एवं भंडारण पार्क (Industrial and warehousing parks): 53 लाख वर्ग फुट
इस कुल 84 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में से, इस वर्ष मार्च तक 30 लाख वर्ग फुट को पहले ही पट्टे पर दिया जा चुका था। यह दिखाता है कि कंपनी के पास एक substantial लीजिंग पाइपलाइन (leasing pipeline) है और उसके वाणिज्यिक परिसंपत्तियों की मांग मजबूत बनी हुई है।